लिफ़ाफ़े में लिपटे खत की आरज़ू थी... तनहा शायर हूं लिफ़ाफ़े में लिपटे खत की आरज़ू थी... तनहा शायर हूं
पर सबकी ख़ुशी में बसी अब मेरी ख़ुशी, बिन इनके जी न पायेंगे .. हम सदा। पर सबकी ख़ुशी में बसी अब मेरी ख़ुशी, बिन इनके जी न पायेंगे .. हम सदा।
तुम्हारी प्यास जैसे मेरे जीने की आरज़ू सलामत हो ! तुम्हारी प्यास जैसे मेरे जीने की आरज़ू सलामत हो !
उठीं थीं आंधियाँ तब ही, जब आहट थी बहारों की। रुकी हर स्वप्न की डोली, प्रतीक्षा में क उठीं थीं आंधियाँ तब ही, जब आहट थी बहारों की। रुकी हर स्वप्न की डोली, प्...
मातृभूमि की लाज के खातिर सर्वश अपना लुटाऊंगा, इस माटी में जन्म लिया है, इस माटी में मातृभूमि की लाज के खातिर सर्वश अपना लुटाऊंगा, इस माटी में जन्म लिया है, ...
क्या निभाऊं जिम्मेदारी, ससुराल का एहसास मिला नहीं। क्या निभाऊं जिम्मेदारी, ससुराल का एहसास मिला नहीं।